अगर आपको हर छोटी बात पर दवाइयां लेने की आदत है तो आप और भी बीमार पड़ सकते है
अगर आप ज़ुकाम, पेट दर्द या फिर ज़रा सी तबियत
खराब होते ही दवाइयां लेने के आदती हैं तो आपको
संभल जाना चाहिए, क्योंकि इससे बड़ी बीमारियां
होने का रिस्क बढ़ जाता है. एंटिबायोटिक्स और
एस्पिरीन जैसी दवाएं लोग अक्सर ही ले लेते हैं, जो
तुरंत आराम तो देती हैं, लेकिन कई तरह से प्रभावित
भी करती हैं. इनके अलावा ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने के
लिए ली जाने वाली दवाएं भी कई साइड इफेक्ट
छोड़ती हैं. अचरज तो इस बात का है कि आपका
डॉक्टर भी आपकी सेहत से जुड़ी इन बातों से आपको
अलर्ट नहीं करता. हम आपको बता रहे हैं कुछ ऐसे सेहत से जुड़े तथ्य, जिन्हें जानना बेहद ज़रूरी है.
1. दवाइयों से डायबिटीज़ बढ़ती है
अक्सर डायबिटीज़ शरीर में इंसुलिन की कमी होने से
पैदा होती है. लेकिन कम लोग यह जानते हैं कि कुछ
खास दवाइयों के असर से भी शरीर में डायबिटीज
होती है. इन दवाइयों में मुख्यतः एंटी डिप्रेसेंट्स, नींद
की दवाइयां, कफ सिरप तथा बच्चों को एडीएचडी
(अतिसक्रियता) के लिए दी जाने वाली दवाइयां
शामिल हैं. इन्हें दिए जाने से शरीर में इंसुलिन की
कमी हो जाती है और व्यक्ति को मधुमेह का इलाज
करवाना पड़ता है.
Source: Medprecautions
2. बिना वजह लगाई जाती हैं कुछ वैक्सीन
वैक्सीन लोगों को किसी बीमारी के इलाज के लिए
लगाई जाती है. परन्तु कुछ वैक्सीन्स ऐसी हैं, जो या
तो बेअसर हो चुकी हैं या फिर वायरस को फैलने में
मदद करती हैं. जैसे कि फ्लू वायरस की वैक्सीन. बच्चों
को दी जाने वाली वैक्सीन डीटीएपी केवल
बी.परट्यूसिस से लड़ने के लिए बनाई गई है, जो कि
बेहद मामूली बीमारी है. परन्तु डीटीएपी की
वैक्सीन फेफड़ों के इंफेक्शन को आमंत्रित करती है, जो
दीर्घकाल में व्यक्ति की इम्यूनिटी पॉवर को
कमज़ोर कर देती है.
Source: Berkeley
3. ‘कैन्सर’ हमेशा कैन्सर ही नहीं होता
ब्रेस्ट कैन्सर की पहचान करने में अधिकांशतः डॉक्टर
गलती कर जाते हैं. सामान्यतया स्तन पर हुई किसी
भी गांठ को कैंसर की पहचान मान कर उसका उपचार
किया जाता है, जो कि कई मामलों में छोटी-मोटी
फुंसी ही निकलती है. उदाहरण के तौर पर हॉलीवुड
अभिनेत्री एंजेलिना जोली ने मात्र इस संदेह पर अपने
ब्रेस्ट ऑपरेशन करके हटवा दिए थे कि उनके शरीर में
कैन्सर पैदा करने वाला जीन पाया गया था.
Source: Guardian
4. दवाइयां कैंसर पैदा करती हैं
ब्लड प्रेशर या रक्तचाप (बीपी) की दवाइयों से
कैन्सर होने का खतरा तीन गुना बढ़ जाता है. ऐसा
इसलिए होता है क्योंकि ब्लडप्रेशर की दवाइयां
शरीर में कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स की संख्या बढ़ा
देती हैं, जिससे शरीर में कोशिकाओं के मरने की दर बढ़
जाती है और प्रतिक्रियास्वरूप कोशिकाएं बेकार
होकर कैंसर की गांठ बनाने में लग जाती हैं.
Source: Popsugar
5. एस्प्रिन से इंटरनल ब्लीडिंग का खतरा बढ़ जाता है
हॉर्ट अटैक तथा ब्लड क्लॉट बनने से रोकने के लिए दी
जाने वाली दवा एस्प्रिन से शरीर में इंटरनल ब्लीडिंग
का खतरा लगभग 100 गुना बढ़ जाता है. इससे शरीर के आंतरिक अंग कमज़ोर होकर उनमें रक्तस्त्राव शुरू हो
जाता है. एक सर्वे में पाया गया कि एस्प्रिन डेली
लेने वाले पेशेंट्स में से लगभग 10,000 लोगों को इंटरनल ब्लीडिंग का सामना करना पड़ा.
Source: Wikipedia
6. एक्स-रे से कैन्सर होता है
आजकल हर छोटी-छोटी बात पर डॉक्टर एक्स-रे
करवाने लग गए हैं. क्या आप जानते हैं कि एक्स-रे
करवाने के दौरान निकली घातक रेडियोएक्टिव
किरणें कैंसर पैदा करती हैं. एक मामूली एक्स-रे करवाने
में शरीर को हुई हानि की भरपाई करने में कम से कम एक वर्ष का समय लगता है.
Source: Bitrebels
7. दवाइयों और लैब-टेस्ट से डॉक्टर्स कमाते हैं मोटा कमीशन
यह बात छिपी नहीं है कि डॉक्टरों की कमाई का
एक मोटा हिस्सा दवाइयों के कमीशन से आता है.
यही नहीं, डॉक्टर किसी खास लैब में ही मेडिकल
चेकअप के लिए भेजते हैं जिसमें भी उन्हें अच्छी कमाई
होती है. कमीशनखोरी की आदत के चलते डॉक्टर
अक्सर ज़रूरत से ज्यादा मेडिसिन दे देते हैं.
Source:Alzheimersnewstoday
8. ज़ुकाम सही करने के लिए कोई दवा नहीं
नाक की अंदरूनी त्वचा में सूजन आ जाने से ज़ुकाम
होता है. अभी तक मेडिकल साइंस इस बात का कोई
कारण नहीं ढूंढ पाया है कि ऐसा क्यों होता है और
ना ही इसका कोई कारगर इलाज ढूंढा जा सका है.
डॉक्टर ज़ुकाम होने पर एंटीबॉयोटिक्स लेने की
सलाह देते हैं परन्तु कई अध्ययनों में यह साबित हो चुका
है कि ज़ुकाम 4 से 7 दिनों में अपने आप सही हो
जाता है. ज़ुकाम पर दवा लेने का कोई असर नहीं
होता है. हां, आपके शरीर को एंटीबॉयोटिक्स के
साइड-इफेक्टस ज़रूर झेलने पड़ते हैं.
Source: Pingminghealth
9. एंटीबॉयोटिक्स से लिवर को नुकसान होता है
मेडिकल साइंस की सबसे अद्भुत खोज के रूप में सराही
गई दवाएं एंटीबॉयोटिक्स हैं. एंटीबॉयोटिक्स ने
व्यक्ति की औसत उम्र बढ़ा दी है और स्वास्थ्य लाभ
में अनूठा योगदान दिया है, लेकिन तस्वीर के दूसरे
पक्ष के रूप में एंटीबॉयोटिक्स व्यक्ति के लिवर को
डैमेज करती है. यदि लंबे समय तक एंटीबॉयोटिक्स का
प्रयोग किया जाए तो व्यक्ति की किडनी तथा
लिवर बुरी तरह से प्रभावित होते हैं.
Source: Newhealthadvisor
10. सीने में जलन की दवा से आंतों का अल्सर
बहुत बार खान-पान या हवा-पानी में बदलाव होने से
व्यक्ति को पेट की बीमारियां हो जाती है. इनमें से
एक सीने में जलन का होना भी है, जिसके लिए
डॉक्टर एंटी-गैस्ट्रिक दवाइयां देते हैं. इनसे आंतों का
अल्सर होने की संभावना बढ़ जाती है, साथ ही
हडि्डयों का क्षरण होना, शरीर में विटामिन बी12
को एब्जॉर्ब करने की क्षमता कम होना, आदि
बीमारियां व्यक्ति को घेर लेती हैं.
Source: Todayjaffna
खराब होते ही दवाइयां लेने के आदती हैं तो आपको
संभल जाना चाहिए, क्योंकि इससे बड़ी बीमारियां
होने का रिस्क बढ़ जाता है. एंटिबायोटिक्स और
एस्पिरीन जैसी दवाएं लोग अक्सर ही ले लेते हैं, जो
तुरंत आराम तो देती हैं, लेकिन कई तरह से प्रभावित
भी करती हैं. इनके अलावा ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने के
लिए ली जाने वाली दवाएं भी कई साइड इफेक्ट
छोड़ती हैं. अचरज तो इस बात का है कि आपका
डॉक्टर भी आपकी सेहत से जुड़ी इन बातों से आपको
अलर्ट नहीं करता. हम आपको बता रहे हैं कुछ ऐसे सेहत से जुड़े तथ्य, जिन्हें जानना बेहद ज़रूरी है.
1. दवाइयों से डायबिटीज़ बढ़ती है
अक्सर डायबिटीज़ शरीर में इंसुलिन की कमी होने से
पैदा होती है. लेकिन कम लोग यह जानते हैं कि कुछ
खास दवाइयों के असर से भी शरीर में डायबिटीज
होती है. इन दवाइयों में मुख्यतः एंटी डिप्रेसेंट्स, नींद
की दवाइयां, कफ सिरप तथा बच्चों को एडीएचडी
(अतिसक्रियता) के लिए दी जाने वाली दवाइयां
शामिल हैं. इन्हें दिए जाने से शरीर में इंसुलिन की
कमी हो जाती है और व्यक्ति को मधुमेह का इलाज
करवाना पड़ता है.
Source: Medprecautions
2. बिना वजह लगाई जाती हैं कुछ वैक्सीन
वैक्सीन लोगों को किसी बीमारी के इलाज के लिए
लगाई जाती है. परन्तु कुछ वैक्सीन्स ऐसी हैं, जो या
तो बेअसर हो चुकी हैं या फिर वायरस को फैलने में
मदद करती हैं. जैसे कि फ्लू वायरस की वैक्सीन. बच्चों
को दी जाने वाली वैक्सीन डीटीएपी केवल
बी.परट्यूसिस से लड़ने के लिए बनाई गई है, जो कि
बेहद मामूली बीमारी है. परन्तु डीटीएपी की
वैक्सीन फेफड़ों के इंफेक्शन को आमंत्रित करती है, जो
दीर्घकाल में व्यक्ति की इम्यूनिटी पॉवर को
कमज़ोर कर देती है.
Source: Berkeley
3. ‘कैन्सर’ हमेशा कैन्सर ही नहीं होता
ब्रेस्ट कैन्सर की पहचान करने में अधिकांशतः डॉक्टर
गलती कर जाते हैं. सामान्यतया स्तन पर हुई किसी
भी गांठ को कैंसर की पहचान मान कर उसका उपचार
किया जाता है, जो कि कई मामलों में छोटी-मोटी
फुंसी ही निकलती है. उदाहरण के तौर पर हॉलीवुड
अभिनेत्री एंजेलिना जोली ने मात्र इस संदेह पर अपने
ब्रेस्ट ऑपरेशन करके हटवा दिए थे कि उनके शरीर में
कैन्सर पैदा करने वाला जीन पाया गया था.
Source: Guardian
4. दवाइयां कैंसर पैदा करती हैं
ब्लड प्रेशर या रक्तचाप (बीपी) की दवाइयों से
कैन्सर होने का खतरा तीन गुना बढ़ जाता है. ऐसा
इसलिए होता है क्योंकि ब्लडप्रेशर की दवाइयां
शरीर में कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स की संख्या बढ़ा
देती हैं, जिससे शरीर में कोशिकाओं के मरने की दर बढ़
जाती है और प्रतिक्रियास्वरूप कोशिकाएं बेकार
होकर कैंसर की गांठ बनाने में लग जाती हैं.
Source: Popsugar
5. एस्प्रिन से इंटरनल ब्लीडिंग का खतरा बढ़ जाता है
हॉर्ट अटैक तथा ब्लड क्लॉट बनने से रोकने के लिए दी
जाने वाली दवा एस्प्रिन से शरीर में इंटरनल ब्लीडिंग
का खतरा लगभग 100 गुना बढ़ जाता है. इससे शरीर के आंतरिक अंग कमज़ोर होकर उनमें रक्तस्त्राव शुरू हो
जाता है. एक सर्वे में पाया गया कि एस्प्रिन डेली
लेने वाले पेशेंट्स में से लगभग 10,000 लोगों को इंटरनल ब्लीडिंग का सामना करना पड़ा.
Source: Wikipedia
6. एक्स-रे से कैन्सर होता है
आजकल हर छोटी-छोटी बात पर डॉक्टर एक्स-रे
करवाने लग गए हैं. क्या आप जानते हैं कि एक्स-रे
करवाने के दौरान निकली घातक रेडियोएक्टिव
किरणें कैंसर पैदा करती हैं. एक मामूली एक्स-रे करवाने
में शरीर को हुई हानि की भरपाई करने में कम से कम एक वर्ष का समय लगता है.
Source: Bitrebels
7. दवाइयों और लैब-टेस्ट से डॉक्टर्स कमाते हैं मोटा कमीशन
यह बात छिपी नहीं है कि डॉक्टरों की कमाई का
एक मोटा हिस्सा दवाइयों के कमीशन से आता है.
यही नहीं, डॉक्टर किसी खास लैब में ही मेडिकल
चेकअप के लिए भेजते हैं जिसमें भी उन्हें अच्छी कमाई
होती है. कमीशनखोरी की आदत के चलते डॉक्टर
अक्सर ज़रूरत से ज्यादा मेडिसिन दे देते हैं.
Source:Alzheimersnewstoday
8. ज़ुकाम सही करने के लिए कोई दवा नहीं
नाक की अंदरूनी त्वचा में सूजन आ जाने से ज़ुकाम
होता है. अभी तक मेडिकल साइंस इस बात का कोई
कारण नहीं ढूंढ पाया है कि ऐसा क्यों होता है और
ना ही इसका कोई कारगर इलाज ढूंढा जा सका है.
डॉक्टर ज़ुकाम होने पर एंटीबॉयोटिक्स लेने की
सलाह देते हैं परन्तु कई अध्ययनों में यह साबित हो चुका
है कि ज़ुकाम 4 से 7 दिनों में अपने आप सही हो
जाता है. ज़ुकाम पर दवा लेने का कोई असर नहीं
होता है. हां, आपके शरीर को एंटीबॉयोटिक्स के
साइड-इफेक्टस ज़रूर झेलने पड़ते हैं.
Source: Pingminghealth
9. एंटीबॉयोटिक्स से लिवर को नुकसान होता है
मेडिकल साइंस की सबसे अद्भुत खोज के रूप में सराही
गई दवाएं एंटीबॉयोटिक्स हैं. एंटीबॉयोटिक्स ने
व्यक्ति की औसत उम्र बढ़ा दी है और स्वास्थ्य लाभ
में अनूठा योगदान दिया है, लेकिन तस्वीर के दूसरे
पक्ष के रूप में एंटीबॉयोटिक्स व्यक्ति के लिवर को
डैमेज करती है. यदि लंबे समय तक एंटीबॉयोटिक्स का
प्रयोग किया जाए तो व्यक्ति की किडनी तथा
लिवर बुरी तरह से प्रभावित होते हैं.
Source: Newhealthadvisor
10. सीने में जलन की दवा से आंतों का अल्सर
बहुत बार खान-पान या हवा-पानी में बदलाव होने से
व्यक्ति को पेट की बीमारियां हो जाती है. इनमें से
एक सीने में जलन का होना भी है, जिसके लिए
डॉक्टर एंटी-गैस्ट्रिक दवाइयां देते हैं. इनसे आंतों का
अल्सर होने की संभावना बढ़ जाती है, साथ ही
हडि्डयों का क्षरण होना, शरीर में विटामिन बी12
को एब्जॉर्ब करने की क्षमता कम होना, आदि
बीमारियां व्यक्ति को घेर लेती हैं.
Source: Todayjaffna
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