मिलिट्री द्वारा किये गए ये 9 आविष्कार, आज बन गए हैं हमारे जीवन का महत्वपूर्ण अंग
किसी भी देश की आर्मी का कार्यक्षेत्र सिर्फ़
सरहद तक ही सीमित नहीं है. सुरक्षा से लेकर
अनुसंधान, प्रौद्योगिकी से लेकर निर्माण के कार्यों
में भी आर्मी हमेशा आगे रहती है. कहते हैं न,
आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है. इसीलिए
कई युद्धों में आर्मी ने कुछ ऐसे आविष्कार किये, जो
युद्ध के मैदान पर तो कारगर सिद्ध हुए ही, बाद में
हमारी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी का भी अंग बन गए.
1. कार्गो पैंट्स
ब्रिटिश सैनिकों ने 1930 में कार्गो पैंट्स पहनना शुरू
किया था क्योंकि वो आरामदायक और गोलाबारूद
रखने में सहायक थीं. कुछ समय बाद अमेरिकी सैनिकों
ने भी इन्हें अपना लिया और 1900 के ही दशक में आम
जनता के लिए कार्गो पैंट्स एक फैशन बन गईं.
Source: AliExpress
2. GPS
आज-कल कहीं जाना हो, और रास्ता नहीं पता हो
तो गूगल मैप्स हमेशा मदद करते हैं. ये जीपीएस या
ग्लोबल पोज़िशनिंग सिस्टम US डिपार्टमेंट ऑफ़
डिफेन्स ने 1990 के शुरूआती दौर में निर्मित किया
था. प्रेसिडेंट क्लिंटन के आदेश पर 1996 में ये GPS आम नागरिकों को भी दिया जाने लगा.
Source: Mil-Embedded
3. माइक्रोवेव
1945 में एक अमेरिकी साइंटिस्ट ने ये देखा कि
द्वितीय विश्व युद्ध में उपयोग होने वाले राडार
ट्रांसमीटर्स, माइक्रोवेव के रूप में इतनी उष्मा पैदा
करते हैं कि इससे खाना बन सकता है. इस टेक्नोलॉजी
का इस्तेमाल कर अगले 2 सालों में माइक्रोवेव ओवन
का आविष्कार किया गया.
Source: Rediff
4. जीप
आज भी सड़क पर जीप को देख कर लोग एक बार मुड़
कर ज़रूर देखते हैं. द्वितीय विश्व युद्ध में अमेरिकी
सैनिक जीप का उपयोग दुश्मन पर नज़र रखने के लिए
करते थे. दुनिया की सबसे पुरानी SUV में अब लेदर
सीटें, MP3 प्लेयर और टचस्क्रीन कंसोल भी होता है.
5. इंडस्ट्रियल फ़र्टिलाइज़र
प्रथम विश्व युद्ध के पहले 2 जर्मन वैज्ञानिक, फ्रिट्ज़
हबर और कार्ल बॉश ने वायुमंडलीय नाइट्रोजन को
अमोनिया में तब्दील करने का तरीका ईजाद किया
था. ये कृत्रिम नाइट्रेट्स का उपयोग युद्ध के समय TNT
जैसे विस्फोटक बनाने में हुआ. उस समय जहां इस
आविष्कार ने लाखों जानें ले ली थीं, वहीं आज उन
वैज्ञानिकों का तरीका इंडस्ट्रियल फ़र्टिलाइज़र
या खाद बनाने में उपयोग होता है. दुनिया की 1/3
जनसंख्या आज उनके इस आविष्कार की मदद से अपना जीवनयापन करती है.
Source: MotherJones
6. डक्ट टेप
1942 में डक्ट टेप का आविष्कार कारतूस के डब्बे को
सील करने के लिए हुआ था, जिससे उसमें पानी न भर
सके. द्वितीय विश्व के दौरान सैनिकों को आभास
हुआ कि इस टेप का उपयोग अपने सामान को भी
ठीक करने के लिए हो सकता है.
Source: Bootsnall
7. कंप्यूटर
द्वितीय विश्व युद्ध के समय, U.S. मिलिट्री ने सबसे
पहले इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर, ENIAC का आविष्कार
किया था. आर्मी ने कंप्यूटर बनाने के लिए पूंजी
इसलिए लगाई थी, जिससे बैलिस्टिक रिसर्च
लेबोरेटरी में उनका उपयोग हो सके.
Source: WikiPedia
8. सेनेटरी नैपकिन
1914 में किंबर्ली-क्लार्क नाम की कंपनी के मुखिया,
एर्नस्ट माहलर के हाथ एक ऐसा मटेरियल लगा जिसमें
कॉटन के मुक़ाबले सोखने की क्षमता 5 गुना ज़्यादा
थी. थोक में इसका उत्पाद करने से इसकी कीमत कॉटन
से भी आधी हो जाती थी. जब 1917 में पहला विश्व
युद्ध शुरू हुआ तो इस कंपनी ने सैनिकों के इलाज के
लिए इस मटेरियल से सर्जिकल बैंडेज बनाना शुरू
किया. वहीं रेड क्रॉस की नर्सें इसका उपयोग सेनेटरी
नैपकिन की तरह करने लगीं. युद्ध के बाद किंबर्ली-
क्लार्क ने व्यवसायिक तरीके से सेनेटरी नैपकिन का
उत्पाद करना शुरू किया. बाद में इस मटेरियल से टिश्यू
भी बनाए गए जो आज हमारी रोज़मर्रा की
ज़िन्दगी का हिस्सा हैं.
Source: Pinterest
9. जेरीकैन
आज इन कैन्स का उपयोग पेट्रोल रखने के लिए जाता
है, लेकिन 1930 में इसे जर्मन मिलिट्री उपयोग करती
थी.
Source: ThinkDefence
सरहद तक ही सीमित नहीं है. सुरक्षा से लेकर
अनुसंधान, प्रौद्योगिकी से लेकर निर्माण के कार्यों
में भी आर्मी हमेशा आगे रहती है. कहते हैं न,
आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है. इसीलिए
कई युद्धों में आर्मी ने कुछ ऐसे आविष्कार किये, जो
युद्ध के मैदान पर तो कारगर सिद्ध हुए ही, बाद में
हमारी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी का भी अंग बन गए.
1. कार्गो पैंट्स
ब्रिटिश सैनिकों ने 1930 में कार्गो पैंट्स पहनना शुरू
किया था क्योंकि वो आरामदायक और गोलाबारूद
रखने में सहायक थीं. कुछ समय बाद अमेरिकी सैनिकों
ने भी इन्हें अपना लिया और 1900 के ही दशक में आम
जनता के लिए कार्गो पैंट्स एक फैशन बन गईं.
Source: AliExpress
2. GPS
आज-कल कहीं जाना हो, और रास्ता नहीं पता हो
तो गूगल मैप्स हमेशा मदद करते हैं. ये जीपीएस या
ग्लोबल पोज़िशनिंग सिस्टम US डिपार्टमेंट ऑफ़
डिफेन्स ने 1990 के शुरूआती दौर में निर्मित किया
था. प्रेसिडेंट क्लिंटन के आदेश पर 1996 में ये GPS आम नागरिकों को भी दिया जाने लगा.
Source: Mil-Embedded
3. माइक्रोवेव
1945 में एक अमेरिकी साइंटिस्ट ने ये देखा कि
द्वितीय विश्व युद्ध में उपयोग होने वाले राडार
ट्रांसमीटर्स, माइक्रोवेव के रूप में इतनी उष्मा पैदा
करते हैं कि इससे खाना बन सकता है. इस टेक्नोलॉजी
का इस्तेमाल कर अगले 2 सालों में माइक्रोवेव ओवन
का आविष्कार किया गया.
Source: Rediff
4. जीप
आज भी सड़क पर जीप को देख कर लोग एक बार मुड़
कर ज़रूर देखते हैं. द्वितीय विश्व युद्ध में अमेरिकी
सैनिक जीप का उपयोग दुश्मन पर नज़र रखने के लिए
करते थे. दुनिया की सबसे पुरानी SUV में अब लेदर
सीटें, MP3 प्लेयर और टचस्क्रीन कंसोल भी होता है.
5. इंडस्ट्रियल फ़र्टिलाइज़र
प्रथम विश्व युद्ध के पहले 2 जर्मन वैज्ञानिक, फ्रिट्ज़
हबर और कार्ल बॉश ने वायुमंडलीय नाइट्रोजन को
अमोनिया में तब्दील करने का तरीका ईजाद किया
था. ये कृत्रिम नाइट्रेट्स का उपयोग युद्ध के समय TNT
जैसे विस्फोटक बनाने में हुआ. उस समय जहां इस
आविष्कार ने लाखों जानें ले ली थीं, वहीं आज उन
वैज्ञानिकों का तरीका इंडस्ट्रियल फ़र्टिलाइज़र
या खाद बनाने में उपयोग होता है. दुनिया की 1/3
जनसंख्या आज उनके इस आविष्कार की मदद से अपना जीवनयापन करती है.
Source: MotherJones
6. डक्ट टेप
1942 में डक्ट टेप का आविष्कार कारतूस के डब्बे को
सील करने के लिए हुआ था, जिससे उसमें पानी न भर
सके. द्वितीय विश्व के दौरान सैनिकों को आभास
हुआ कि इस टेप का उपयोग अपने सामान को भी
ठीक करने के लिए हो सकता है.
Source: Bootsnall
7. कंप्यूटर
द्वितीय विश्व युद्ध के समय, U.S. मिलिट्री ने सबसे
पहले इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर, ENIAC का आविष्कार
किया था. आर्मी ने कंप्यूटर बनाने के लिए पूंजी
इसलिए लगाई थी, जिससे बैलिस्टिक रिसर्च
लेबोरेटरी में उनका उपयोग हो सके.
Source: WikiPedia
8. सेनेटरी नैपकिन
1914 में किंबर्ली-क्लार्क नाम की कंपनी के मुखिया,
एर्नस्ट माहलर के हाथ एक ऐसा मटेरियल लगा जिसमें
कॉटन के मुक़ाबले सोखने की क्षमता 5 गुना ज़्यादा
थी. थोक में इसका उत्पाद करने से इसकी कीमत कॉटन
से भी आधी हो जाती थी. जब 1917 में पहला विश्व
युद्ध शुरू हुआ तो इस कंपनी ने सैनिकों के इलाज के
लिए इस मटेरियल से सर्जिकल बैंडेज बनाना शुरू
किया. वहीं रेड क्रॉस की नर्सें इसका उपयोग सेनेटरी
नैपकिन की तरह करने लगीं. युद्ध के बाद किंबर्ली-
क्लार्क ने व्यवसायिक तरीके से सेनेटरी नैपकिन का
उत्पाद करना शुरू किया. बाद में इस मटेरियल से टिश्यू
भी बनाए गए जो आज हमारी रोज़मर्रा की
ज़िन्दगी का हिस्सा हैं.
Source: Pinterest
9. जेरीकैन
आज इन कैन्स का उपयोग पेट्रोल रखने के लिए जाता
है, लेकिन 1930 में इसे जर्मन मिलिट्री उपयोग करती
थी.
Source: ThinkDefence
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