13 ऐसी पंक्तियां जो बताती हैं कि, आज क्यों “अटलजी” जैसा राजनेता खोजना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है
वाजपेयी, भारतीय जनसंघ के
संस्थापक, भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक
सदस्य, कवि और 11 भाषाओं के ज्ञाता अटल
बिहारी को आज कौन नहीं जानता. मेरे निजी राय के
अनुसार वे एक ऐसी शख्सियत हैं जो कि संपूर्णता में
मानव कहलाने के हकदार हैं. चेहरे पर हमेशा बने
रहने वाली मुस्कान, और एक ऐसा निर्भीक और
साहसी व्यक्तित्व जो सत्य के लिए कोई भी
कुर्बानी देने को तैयार रहा हो. भाषण शैली
कुछ ऐसी कि विपक्षी भी एक बार
रुक कर सुनना और गुनना चाहे. जो भारतवर्ष को
सदैव आगे ही बढ़ता देखना चाहता हो, चाहे कितनी
ही झंझावतें न हों. हालांकि राजनीति
की काल-कोठरी कहां किसी को इंसान
रहने देती है कि उनके ऊपर भी कई आरोप
रहे लेकिन फ़िर भी वे एक ज़िंदाजिल इंसान ही
बने रहे. और आज जब उन्हें “भारत रत्न” से नवाजा गया है तो हम उन्हें याद करने की कोशिश कर रहे हैं, उनके ही कविताओं और पंक्तियों के माध्यम से.
संस्थापक, भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक
सदस्य, कवि और 11 भाषाओं के ज्ञाता अटल
बिहारी को आज कौन नहीं जानता. मेरे निजी राय के
अनुसार वे एक ऐसी शख्सियत हैं जो कि संपूर्णता में
मानव कहलाने के हकदार हैं. चेहरे पर हमेशा बने
रहने वाली मुस्कान, और एक ऐसा निर्भीक और
साहसी व्यक्तित्व जो सत्य के लिए कोई भी
कुर्बानी देने को तैयार रहा हो. भाषण शैली
कुछ ऐसी कि विपक्षी भी एक बार
रुक कर सुनना और गुनना चाहे. जो भारतवर्ष को
सदैव आगे ही बढ़ता देखना चाहता हो, चाहे कितनी
ही झंझावतें न हों. हालांकि राजनीति
की काल-कोठरी कहां किसी को इंसान
रहने देती है कि उनके ऊपर भी कई आरोप
रहे लेकिन फ़िर भी वे एक ज़िंदाजिल इंसान ही
बने रहे. और आज जब उन्हें “भारत रत्न” से नवाजा गया है तो हम उन्हें याद करने की कोशिश कर रहे हैं, उनके ही कविताओं और पंक्तियों के माध्यम से.
Comments
Post a Comment