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Showing posts from January, 2016

10 कारण कि कैसे चंद्रमा पर उतरने की बात महज़ अफ़वाह हो सकती है

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यह सिद्धांत कि चंद्रमा पर मानव के पहले-पहल कदम रखने की कहानी महज़ अफ़वाह थी, जिसे अमरीकी सरकार ने रूस पर मनोवैज्ञानिक बढ़त लेने के लिए गढ़ी थी, के चर्चे इन दिनों ख़ासे-आम हो गए है. अभी हाल ही के किए गए सर्वे में 20 फीसदी अमरीकियों का ऐसा मानना है कि, अमरीका कभी भी चंद्रमा पर नहीं उतरा है. इसके पीछे वे शीत युद्ध के दौरान अमरीका की रूस पर मनोवैज्ञानिक और राजनीतिक बढ़त की रणनीति की बात बताते हैं. इस लिस्ट में हम आपके सामने रखने जा रहे हैं कुछ ऐसे तथ्य जो यह बताते हं कि, कैसे मानव के चंद्रमा पर उतरने की ख़बरें महज़ अफ़वाह हैं. 1. लहराता हुआ झंडा साजिशी सिद्धांत का पर्दाफाश करने वाले स्पेशलिस्ट बताते हैं कि, जब दुनिया के लोगों को पहली बार टेलीविजन पर चंद्रमा पर उतरने के दृश्य दिखाए गए थे. तब एक अमरीकी झंडा लहराता हुआ दिखाया गया था, जिसे नील आर्मस्ट्रांग और आल्ड्रिन ने गाड़ा था. इस तस्वीर में ऐसा दिखाया है कि झंडा हवा में लहरा रहा है. लेकिन यदि साइंटिस्टों की मानें तो, चंद्रमा पर हवा है ही नहीं. तो फ़िर ये कैसे सम्भव है कि झंडा फहराए. इसे लेकर तब से अब-तक बहुत कु...

दुनिया में लोग करते हैं ये 19 अजीबोगरीब नौकरियां.

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बचपन में आपसे कई बार पूछा गया होगा कि "बेटा, बड़े हो कर क्या बनोगे?" आप शायद डॉक्टर, इंजीनियर या आर्किटेक्ट जैसे नाम लेते होंगे. लेकिन आपको इन नौकरियों के बारे में नहीं पता होगा जो आज-कल दुनिया में लोग करते हैं. एक से बढ़ कर एक अतरंगी और आश्चर्यजनक नौकरियां हैं. खुद देख लो... 1. पेशेवर धक्का देने वाला जापान के लोग बड़े मेहनती होते हैं और वहां समय पर काम पर पहुंचना बहुत ज़रूरी है. इसीलिए सुबह जब मेट्रो में बहुत भीड़ होती है, तब कुछ लोग बस लोगों को मेट्रो में धक्का देने का काम करते हैं. ये हैं पेशेवर धक्का देने वाले. 2. किराये पर बॉयफ्रेंड टोक्यो में अगर आप चाहो तो किराए पर बॉयफ्रेंड बन सकते हो. अब इसका क्या फायदा है, ये तो जापानी ही जानें. 3. पेशेवर लाइन में खड़े होने वाला लोगों के पास हमेशा समय की कमी होती है तो कौन लाइन में खड़े हो कर फ़िल्म का टिकट खरीदे. इसके लिए आप पेशेवर लाइन में खड़े होने वाले को काम पर लगा सकते हैं. वो आपकी जगह किसी भी लाइन में, कितनी ही देर, खड़ा हो जाएगा, जब तक आप उसे पैसे दे रहे हैं. 4. पेशेवर सोने वाला सपना ...

इन राजाओं ने यदि देश को धोखा न दिया होता तो भारत आज विश्व सम्राट होता...

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हमारे देश-दुनिया में कई कहावतें हैं जैसे पीठ में  छुरा घोंपना, विभीषण होना, जयचंद होना, मान सिंह होना और मीर जाफर होना. इन सारी कहावतों का जो व्यापकता में अर्थ निकल कर आता है उसमें यह बात साफ़ तौर पर निकल कर बाहर आती है कि इन्हें धोखेबाज और पाजी माना जाता रहा है. हिन्दुस्तान के राजपूत राजाओं का तो पूरा इतिहास ही आपसी वैमनस्य, फूट, अंतर्कलह और सत्ता पर आसीन होने के लिए किसी बाहरी शक्ति से हाथ मिला लेनी की बात कही-सुनी जाती है. अहम लड़ाइयों में राजपूत राजाओं को हमेशा हार ही देखने को मिली. जब राजपूतों से लड़ने वाले विदेशी आक्रांता भी इस बात को मानते हों कि वे बड़े बहादुर और जाबांज़ हुआ  करते थे फिर क्या कमी रह गई कि उन्हें अधिकतर पराजय ही देखने को मिली. जबकि उनके भीतर ऐसी पूरी संभावना थी कि वे पूरी दुनिया पर राज़ कर सकते थे. हालांकि इन सारे राजाओं के अधीनस्थ रहने वाले भाट-चारणों ने उन्हें महानतम योद्धा और न जाने क्या-क्या साबित कर दिया. निष्पक्षता बरतने के बजाय सारे हारे हुए योद्धाओं को मिथकीय कहानियों में हीरो लिख कर महिमामंडित करने का काम किया. यहां हम ...

स्वामी विवेकानंद के ये विचार आपको ज़िंदगी का असली मतलब समझा देंगा

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12 जनवरी 1863 को कोलकाता में जन्मे स्वामी विवेकानंद आजीवन एक संन्यासी के रूप में रहे और देश-समाज की भलाई के लिए काम करते रहे. अपने ज्ञान के बल पर स्वामी विवेकानंद विश्व विजेता बने. वे हिन्दुस्तान के एक ऐसे संन्यासी रहे हैं, जिनके संदेश आज भी लोगों को उनका अनुसरण करने को मजबूर कर देते हैं, क्योंकि इनमें जीवन की सच्चाई है. अगर आपने स्वामी विवेकानंद के इन विचारों को अपने जीवन में उतार लिया, तो मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि आपको आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता. अगर आपको तैतीस करोड़ देवी-देवताओं पर भरोसा है लेकिन खुद पर नहीं तो आप को मंज़िल नहीं मिल सकती. खुद पर भरोसा रखें, अडिग रहें और मजबूत बनें. हमें इसकी ही जरूरत है.

13 ऐसी पंक्तियां जो बताती हैं कि, आज क्यों “अटलजी” जैसा राजनेता खोजना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है

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 वाजपेयी, भारतीय जनसंघ के संस्थापक, भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्य, कवि और 11 भाषाओं के ज्ञाता अटल बिहारी को आज कौन नहीं जानता. मेरे निजी राय के अनुसार वे एक ऐसी शख्सियत हैं जो कि संपूर्णता में मानव कहलाने के हकदार हैं. चेहरे पर हमेशा बने रहने वाली मुस्कान, और एक ऐसा निर्भीक और साहसी व्यक्तित्व जो सत्य के लिए कोई भी कुर्बानी देने को तैयार रहा हो. भाषण शैली कुछ ऐसी कि विपक्षी भी एक बार रुक कर सुनना और गुनना चाहे. जो भारतवर्ष को सदैव आगे ही बढ़ता देखना चाहता हो, चाहे कितनी ही झंझावतें न हों. हालांकि राजनीति की काल-कोठरी कहां किसी को इंसान रहने देती है कि उनके ऊपर भी कई आरोप रहे लेकिन फ़िर भी वे एक ज़िंदाजिल इंसान ही बने रहे. और आज जब उन्हें “भारत रत्न” से नवाजा गया है तो हम उन्हें याद करने की कोशिश कर रहे हैं, उनके ही कविताओं और पंक्तियों के माध्यम से.