गुलज़ार की इन 10 नज़्मों से आपको मोहब्बत न हो जाये तो कहना

    भावना को बयां करने के लिए हमेशा शब्दों की जरूरत होती है. और इससे भी पहले भावना को
समझ पाना, उसको महसूस करना, उस घड़ी में उस पल
को ज़ीना गुलज़ार जैसे शायर से बेहतर कौन जान सकता है? आंखों और चांद पर सबसे ज्यादा नज्में लिखने वाले गुलज़ार ख़ुद को रेशमी शायर नहीं मानते. उनकी नज्मों में जो दर्द दर्ज़ है उसे वो समय के साथ जीते हैं. तब ही तो गुलज़ार की नज्में किताबों के पन्ने
के साथ-साथ अापके दिल पर कुछ खूबसूरत निशां छोड़
पाती हैं.

1. देखो, ख़्वाब न टूटे कोई

2. कहां है वो शायर

3. एक खानाबदोश हसरत लिए रास्ता टटोलता है

4. बुझते हुए उजाले

5. ये नज़्म कुछ कहती है

6. एक रिहाई

7. रंग उभर आयें हैं आज उस स्केच पर

8. एक लम्हे का ही झगड़ा था

9. आंखों में एक याद होगी, बस तुम गौर से देखना

10. आदतें अजीब होती हैं

अगर आप भी गुलज़़ार की कोई नज़्म हमारे
साथ शेयर करना चाहते हैं. तो आपका स्वागत है.

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